आमरण अनशन की पहली रात बीत गयी: किसी सरकारी निकाय की नजर नहीं पड़ी

आशिष कुमार मंडल : हुलाकी हाइवे पर टूटे कमला नदी पुल के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर 10 युवक भूख हड़ताल पर बैठे हैं। युवाओं ने मंगलवार से मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

 बारिश के बावजूद अनसनकारियो ने तंबू के नीचे बिना खाना खाए पूरी रात गुजारी।आमरण अनशन करने वालों में कमला पुल निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक प्रवीण यादव, सिरहा नगर पालिका के दो वार्ड अध्यक्ष इंद्रजीत यादव व समसाद आलम, औरही ग्रामीण नगर पालिका के वार्ड अध्यक्ष सुरेंद्र यादव जीवछ यादव समेत भोगेंद्र साह शैलेश यादव, शिव शंकर यादव, मनीष यादव और रूपेश कुमार यादव शामिल हैं।

भूख हड़ताली एवं कमला पुल निर्माण समिति के संयोजक प्रवीण यादव ने कहा कि हम ‘‘डु एण्ड डाई’’ की स्थिति में हैं। अब या तो सरकार कमला पुल बनाने की उचित व्यवस्था करे या फिर हम बिना भोजन के ही अपनी जान दे देंगे। अब उधार और फर्जी आश्वासन नहीं। पुल के निर्माण के लिए बजट आवंटित कर निर्माण कार्य तत्काल शुरू कराया जाए।

एक अन्य प्रदर्शनकारी औरही के जीवछ यादव का कहना है कि कमला ब्रिज की कमी के कारण मधेश की सामाजिक-आर्थिक गतिविधियां ठप हैं,मधेश की जीवन रेखा हुलाकी हाईवे बेकार हो गया है।मधेश के प्रति राज्य की यह उपेक्षा अत्यंत दु:खद है।

इस पुल के टूटने से न सिर्फ लोगों का जीना मुश्किल हो गया है, बल्कि मधेश की समृद्धि का सपना भी खत्म हो गया है। लेकिन राज्य ऐसा व्यवहार कर रहा है मानो उसे यह दिखाई ही नहीं दे रहा हो। उन्होंने कहा कि हम अब वारपार के शांतिपूर्ण सत्याग्रह में हैं।

कमला पुल के निर्माण के लिए दबाव बनाने वाले कार्यकर्ता व पत्रकार रामरीझन यादव कहते हैं कि जिस स्थान पर कमला पुल टूटा है,वह सिरहा क्षेत्र नं. 3 का है और यहां के सांसद लीलानाथ श्रेष्ठ हैं।


अभी 4 दिन पहले ही उन्होंने प्रदेश के मंत्रियों के साथ सिराहा के सर्रे अम्बास में मदन भंडारी का 6 मंजिला स्मारक बनाने के लिए 11 अरब का बजट देने की घोषणा की है, लेकिन उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में पुल के पुनर्निर्माण की कोई चिंता नहीं है ।

यहां तक ​​कि जब उनके निर्वाचन क्षेत्र के युवाओं ने आमरण अनशन शुरू कर दिया, तब भी उन्होंने उनकी बात नहीं मानी। मधेश और मधेशी को अब समझ जाना चाहिए कि मधेश और मधेशी के वोट से जीतने वाले श्रेष्ठ का यह रवैया और नियति क्रूर है।

उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे हर बार कमला नदी पार करते समय अपनी जान जोखिम में डालते हैं, अब वे भूख हड़ताल पर होने के बावजूद विकास को मौत से बदल रहे हैं।


हुलकी हाईवे के तहत सिरहा और धनुषा जिले को जोड़ने वाली कमला नदी पर बना पुल 3 साल पहले ढह गया था ।निर्माण के कुछ ही महीनों के भीतर पुल ढहने से जिले में यातायात बंद हो गया है । स्थानीय लोग जेखिम लेकर नदी पार करते हैं।

पिछले 2 वर्षों से इस पुल के निर्माण की मांग को लेकर सिरहा और धनुषा जिले में कई दबाव आंदोलन हुए हैं। संघीय सरकार और राज्य सरकार को दर्जनों ज्ञापन सौंपे गए हैं।

तत्कालीन सरकार के मंत्री और नेता नारायणकाजी श्रेष्ठ, रवि लामिछाने रघुवीर महासेठ और गगन थापा ने टूटे पुल की निगरानी और निरीक्षण के बाद एक साल के भीतर नया पुल बनाने का वादा किया था। लेकिन वादा पूरा नहीं होने पर सिराहावासी अब जान देने पर उतारू हैं।

सिराहा के पत्रकार बद्री नारायण यादव कहते हैं कि इस बार सिराहा के युवाओं ने जुझारू आंदोलन शुरू कर दिया है । अगर ऐसी स्थिति बनी कि 10 मधेसी युवाओं की जान की कुर्बानी देनी पड़ी तो सिराहा में अजेय सामूहिक सुनामी पैदा हो जायेगी ।

इस पर  सरकार और सरकार चलाने वाली पार्टी के नेताओं का ध्यान आकर्षित होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कमला पुल को प्राथमिकता न देकर मदन भंडारी का स्मारक बनाने के लिए 11 अरब का बजट देने की घोषणा करने वाला सांसद लीलानाथ श्रेष्ठ का बयान मधेशियों और मधेशियों के मन में कांटे की तरह उग रहा है ।


इस संदर्भ में काफी चर्चा शुरू हो गई है ।मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह का कहना है कि मधेश राज्य सरकार के प्रांगण में आमरण अनशन कर रहे सत्याग्रहियों की मांग को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार को उनका ज्ञापन पत्र भेज दिया है, हम भी दबाव डाल रहे हैं। यह संघीय सरकार का काम है, उसे इसे पूरा करना चाहिए ।

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