चैती छैठ पावैन अन्तर्गत आइ खरना

जलेश्वर,२० चैतः सूर्य उपासनाके चाइर दिनक महापर्व चैती छैठ व्रतअन्तर्गत आइ दोसर दिन खरना पावैन निष्ठापूर्वक मनाएल जा रहल अइछ। मिथिलामे मंगलदिनसँ शुरू भेल चैती छैठके दोसर दिन, साँझ समयमे, घर-घरमे कुल देवताके पूजा क भगवान सूर्यदेव आ छैठ माताक आगमन लेल निमन्त्रण द खरना पावैन मनाएल जाइत अइछ।

जलेश्वर नगरपालिका–१ स्थित जलेश्वरनाथ महादेव मन्दिरक सहायक पूजारी कामेश्वर पाठकक अनुसार, एहि दिन भक्तजन सम्पूर्ण विधिपूर्वक छैठ माताके स्वागत करैत छैथ।

खरना दिन मिथिलानी पवनाैतिन दिन भैर निर्जल आ निराहार उपवास राइख, साँझमे खीर, पुरी, लड्डू (लरु), केला आ तुलसी पत्र आदिक प्रसाद तैयार करैत छैथ।

कुल देवताके पूजा करैत भगवान सूर्य आ छैठ माताक निमन्त्रण दैत छैथ, आ प्रसाद (नेउज) चढ़ाबैत छैथ। जलेश्वर-८ के पवनाैतिन महिला सुमिन्त्रा देवीक अनुसार, एहि राइत पवनाैतिन मात्र अरवा अरबाईन (बिना नुन) करैत छैथ, जाहिमे खीर, पुरी आ केरा मुख्य रहैत अइछ।

चाइर दिनके विधिपूर्वक मनाएल जाएबला चैती छैठ पावैन मिथिलाक महोत्तरी, धनुषा, सिरहा, सप्तरी, सुनसरी, मोरंग, सर्लाही, रौतहट, बारा, पर्सा सहित भारतीय मिथिलामे सेहो धूमधामसँ मनाएल जाइत अइछ।

पौराणिक मान्यताक अनुसार, द्रौपदी आ पाण्डव अज्ञातवासमे सूर्यदेवक आराधना कएने छलीह, जाहिमे मिथिलाक किरात क्षेत्रमे हुनक वास छल, आ ओतहिसँ छैठ पावैन मनाएल जाए लागल ।

सूर्य पुराण अनुसार, सर्वप्रथम पत्नी अनुसूइया द्वारा छैठ व्रत कएल गेल, जाहिसँ हुनका अटल सौभाग्य आ परिपूर्ण प्रेम प्राप्त भेल। तहि समयसँ ई पावैनके परम्परा शुरू भेल।

छैठ पावैन धार्मिक आस्था सङे सामाजिक सद्भावक प्रतीक सेहो मानल जाइत अइछ, जत हिन्दुसभ सङे कतेको मुस्लिम परिवार सेहो श्रद्धापूर्वक एहि पावैनमे भाग लैत अइछ।

छैठ पूजा लेल ७० प्रकारक सामग्री चढ़ेबाक मान्यता अइछ, मुदा, जँ सामर्थ्य नै अइछ, तँ गम्हरी धानके चाउर चढ़ाए क सेहो देवता प्रसन्न होइत छैथ, एहन जनविश्वास अइछ।

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